अरे देखो भैया , में हूँ पांच सौ रूपया
पीले कागज़ का तुकडा , मरती हे मुघ्पर सारी दुनिया
मुझमे हे शक्ति इतनी , नीयत बदलदे सबकी
अमीरों के हाथ का मैल हूँ में , गरीबों के मन में सपने हूँ में
देखे मैंने कितने हाथ , राजनीति के रेखे
मस्ती की हे ख़चहरों में , रहा हूँ चुपके से पुलीस के मेजों में
हवालदार की टोपी में कब्बड्डी खेली
दुल्हन के गले में खेली होली
लोग प्यार खरीदते हे मुघसे
प्यार करने वाले चुपते हे मुझे सबसे
बच्चों के खिलौने का दाम हूँ में
ब्रष्टों के लिए राम हूँ में
मुझको इतना देते हे महत्व
भूल जाते हे आत्म और परमात्म
इन सब में हूँ राक्षसी रुपी
मानव मस्तिष्क में हूँ महा मायावी
होती ख़ुशी मुझे हर बार
जब नहीं करते मेरा व्यापार
दान देते हे मुझे समाज सेवा के लिए
या जब मुझसे जलती हे वीरों के दिए
कहता हूँ एक बात की ज्ञान
मेरे पीछे न भागो जवान
आदर्शों को बनाओ अपनी सम्पति
तब बनूंगी में तुम्हारी पारवती
जीवन के इस संगर्ष में मुझे तलवार न बनाओ
चरित्र को करो बलवान राक्षस नहीं इंसान बनो
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